अप्रैल से Mutual Fund एसआईपी से जुड़े यह 4 नियम लागू, जानें डिटेल्स…

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने हाल ही में जारी किए गए सूत्रों के माध्यम से जताया है कि भारतीय वित्तीय बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में रिस्क का खतरा बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि निवेशकों की ओर से एसआईपी (SIP) के माध्यम से लगातार पैसा जमा हो रहा है, जिसका अधिकांश भाग मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स में निवेश किया जा रहा है। इसके विपरीत, लार्जकैप फंड्स में निवेश कम हो रहा है। इससे एक अधिक रिस्की परिस्थिति उत्पन्न हो रही है जिसका सामना करना सेबी के लिए महत्वपूर्ण है।
सेबी ने इस मामले में म्यूच्यूअल फंड इंडस्ट्री से जुड़े सभी बाजार संकेतकों का ध्यान खींचा है और जबरदस्त डिस्क्लोजर की मांग की है। यह समझने में महत्वपूर्ण है कि निवेशकों को उचित सलाह और गाइडेंस देने के लिए ऐसे डिस्क्लोजर क्योंकि इससे वे अपने निवेश के प्रति जागरूक और सावधान रह सकते हैं। यह चेतावनी निवेशकों के लिए है ताकि वे अपने निवेश निर्णय को सोच-समझकर ले सकें और अपनी निवेशक खाते को सुरक्षित रख सकें।
नियमों में बदलाव: छोटे निवेशकों की सुरक्षा की प्राथमिकता
AMFI और SEBI ने छोटे निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियमों में बदलाव की तैयारी कर ली है। यह नए बदलाव निवेशकों को भारी नुकसान से बचाने का प्रयास है। डिस्क्लोजर नियमों में बदलाव का मकसद निवेशकों को अधिक सही और संपूर्ण जानकारी प्रदान करना है ताकि वे अपने निवेश के प्रति जागरूक और सुरक्षित महसूस करें।
यह बदलाव अप्रैल से लागू किया जाने की संभावना है, जिससे निवेशकों को समय पर सूचित किया जाएगा। यह बदलाव निवेशकों को निवेश के प्रति अधिक विश्वास और आत्मविश्वास प्रदान करेगा और उन्हें अधिक नियंत्रित और सुरक्षित महसूस करेगा।
1. फंड का वैल्युएशन:
जब हम शेयरों की वैल्युएशन की बात करते हैं, तो वहाँ कंपनी के आधार पर मूल्य का मूल्यांकन होता है। उसी तरह, फंड की वैल्युएशन में पोर्टफोलियो के सभी निवेशों का मूल्यांकन होता है। एक फंड की एग्रीग्रेड वैल्यु जानकारी निवेशकों को उनके निवेश के मौल्य को समझने में मदद करती है। एक फंड जो अधिक PE वाले शेयरों में निवेश करता है, वहाँ अधिक वैल्युएशन की संभावना होती है, जबकि निवेश लो PF वाले शेयरों में कम वैल्युएशन की संभावना होती है।
2. लिक्विडिटी:
निवेशकों के लिए लिक्विडिटी एक महत्वपूर्ण परिमाण होती है। यह उन्हें बताती है कि वे अपने निवेश को कितनी जल्दी और किस समय निकाल सकते हैं। लार्ज कैप शेयरों में लिक्विडिटी की समस्या कम होती है, क्योंकि ये शेयर बेहतर बाजार में बिकते हैं।
वहीं, छोटे और मिडकैप शेयरों में लिक्विडिटी की समस्या हो सकती है। फंड हाउस को इस रिस्क को ध्यान में रखकर चलना चाहिए और निवेशकों को इसकी जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए ताकि वे सही निवेश निर्णय ले सकें।
3. एक फंड की वॉलेटिलिटी
निवेशकों को बताती है कि उसमें कितना रिस्क है। अधिक वॉलेटिलिटी वाले फंड उच्च रिस्क और उच्च लाभ के साथ आते हैं, जबकि कम वॉलेटिलिटी वाले फंड निवेशकों को नियमित और स्थिर लाभ प्रदान करते हैं। इसलिए, वॉलेटिलिटी को ध्यान में रखते हुए निवेशक अपने निवेश के लिए सही फंड का चयन कर सकते हैं।
4. पोर्टफोलियो की सामग्री: शेयरों का सही संकलन
एक फंड के पोर्टफोलियो में कौन से शेयर हैं, यह निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है। मिडकैप और स्मॉलकैप फंड में सभी मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर नहीं होते, बल्कि इसमें विभिन्न शेयरों का मिश्रण होता है। निवेशकों को इस पर विचार करना चाहिए कि किस प्रकार के शेयर्स उनके निवेश के लक्ष्यों और रिस्क प्रोफाइल से मेल खाते हैं। इसलिए, फंड हाउस को निवेशकों को सही जानकारी प्रदान करना चाहिए ताकि वे अपने निवेश को सही दिशा में ले सकें।
Disclaimer: A1Factor.Com पोस्ट के माध्यम से लोगों में फाइनेंशियल एजुकेशन प्रोवाइड कराता है। म्यूचुअल फंड और शेयर मार्केट निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। हम सब SEBI से पंजीकृत वित्तीय सलाहकार नहीं हैं। आप अपने पैसे को निवेश करने के लिए स्वतंत्र है। कृपया अपनी समझदारी और सूझ बूझ के साथ ही निवेश करें। निवेश करने से पहले पंजीकृत एक्सपर्ट्स की राय जरूर लें।