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Vande Bharat Express will be longer than Rajdhani-Shatabdi Express, know the new decision of Railways

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वंदे भारत एक्सप्रेस: ​​पहले जब देश में प्रीमियम ट्रेनों की बात होती थी तो सिर्फ राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस का जिक्र होता था। अब वंदे भारत नई प्रीमियम ट्रेन है। अभी तक राजधानी एक्सप्रेस प्रीमियम ट्रेनों में सबसे लंबी थी, जिसमें 22 कोच होते हैं। लेकिन अब वंदे भारत एक्सप्रेस की स्लीपर वैरिएंट ट्रेन इससे भी लंबी होगी।

प्रीमियम ट्रेनों की बात करें तो पहले देश में राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस का नाम था। नरेंद्र मोदी सरकार ने सेमी हाई-स्पीड ट्रेन के तौर पर वंदे भारत का संचालन शुरू किया था। अब तक वंदे भारत में या तो 16 कोच या आठ कोच हुआ करते थे। लेकिन अब रेल मंत्रालय ने वंदे भारत को 24 कोच वाली बनाने का फैसला किया है। जी हां, अगर ऐसी ट्रेन बनती है तो यह प्रीमियम ट्रेनों में सबसे लंबी ट्रेन बन जाएगी। अब तक इस श्रेणी की सबसे लंबी ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस है। इस ट्रेन में अधिकतम 22 कोच जोड़े जाते हैं।

रेलवे का ताजा फैसला क्या है?

भारतीय रेलवे ने अपने 35,000 करोड़ रुपये के वंदे भारत सेमी-हाई स्पीड ट्रेन टेंडर को संशोधित किया है। रेलवे ने पहले 120 ट्रेन सेट की आपूर्ति का ऑर्डर दिया था। इनमें से प्रत्येक ट्रेन सेट में 16 कोच होने थे। अब जो नई योजना तैयार की गई है, उसके अनुसार आपूर्तिकर्ता को 80 ट्रेन सेट की आपूर्ति करनी है। इनमें से प्रत्येक ट्रेन सेट में 24 कोच या डिब्बे होंगे। इन ट्रेनों में पेंट्री कार भी होंगी।

ट्रेन का किराया कितना होगा?

अनुमान है कि 24 कोच वाली प्रत्येक ट्रेन की लागत करीब 120 करोड़ रुपये होगी। इसका निर्माण महाराष्ट्र के लातूर में किया जाएगा। वहां रेल मंत्रालय की कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) और रूसी कंपनियों के कंसोर्टियम का संयुक्त उपक्रम स्थापित किया जा रहा है। उम्मीद है कि यह विनिर्माण इकाई इसी साल नवंबर तक बनकर तैयार हो जाएगी।

पहली प्रोटोटाइप ट्रेन अगले साल लॉन्च की जाएगी

महाराष्ट्र के लातूर में स्थित विनिर्माण संयंत्र को इस साल नवंबर तक रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) और रूसी संघ के बीच एक संयुक्त उद्यम को सौंप दिए जाने की उम्मीद है। इसके बाद, 24 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन सेट का उत्पादन वहां शुरू हो जाएगा। इस ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप सितंबर 2025 तक आने की उम्मीद है।

यह रेलगाड़ी कौन बनाएगा?

इस ट्रेन को बनाने में पहली भागीदार रेल मंत्रालय की कंपनी आरवीएनएल है। इसके साथ ही रूसी इंजीनियरिंग कंपनी मेट्रोवैगनमैश और लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम भी शामिल हैं। ये तीनों कंपनियां मिलकर महाराष्ट्र के लातूर में ट्रेन का निर्माण करेंगी।

मूल अनुबंध क्या था?

मूल वंदे भारत अनुबंध में 200 स्लीपर वैरिएंट वंदे भारत ट्रेन सेट का उत्पादन शामिल था। इनमें से प्रत्येक ट्रेन में 16 कोच होने थे। साथ ही, इन ट्रेनों की 35 साल की रखरखाव योजना थी। इस अनुबंध के एल1 बोलीदाता को लातूर में मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री (एमआरसीएफ) में 120 ट्रेन सेट का उत्पादन करना था, जबकि एल2 बोलीदाता को चेन्नई में आईसीएफ में 80 ट्रेन सेट का उत्पादन करना था। अब रेल मंत्रालय द्वारा कार्यक्षेत्र में हाल ही में किए गए बदलाव के अनुसार अब 24 कोच वाले 80 ट्रेन सेट का उत्पादन करना होगा।

सामान्य उत्पादन कब होगा?

24 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन सेट का प्रोटोटाइप आने के बाद इसका परीक्षण किया जाएगा। अगर यह परीक्षण में सफल रही तो एक साल बाद 12 वंदे भारत ट्रेनों का पहला बैच तैयार होने की उम्मीद है। इसके बाद दूसरे साल 18 ट्रेन सेट डिलीवर किए जाएंगे। फिर तीसरे साल 25 ट्रेन सेट के बैच डिलीवर किए जाएंगे। इस वंदे भारत ट्रेन सेट के रखरखाव के लिए जोधपुर, दिल्ली और बेंगलुरु में मेंटेनेंस सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।

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careermotto

A self-motivated and hard-working individual, I am currently engaged in the field of digital marketing to pursue my passion of writing and strategising. I have been awarded an MSc in Marketing and Strategy with Distinction by the University of Warwick with a special focus in Mobile Marketing. On the other hand, I have earned my undergraduate degrees in Liberal Education and Business Administration from FLAME University with a specialisation in Marketing and Psychology.

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