Latest toll tax rules: Now these people will also have to pay toll tax, NHAI changed the 3 year old rule, know details
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नवीनतम टोल टैक्स नियम: एनएचएआई ने 2021 की नीति को वापस ले लिया है जिसमें कहा गया था कि अगर टोल बूथ से 100 मीटर की दूरी तक वाहनों की कतार लगती है, तो उन्हें बिना टोल दिए गुजरने दिया जाएगा।
NHAI toll tax rules: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI ने टोल बूथों पर वेटिंग टाइम को लेकर तीन साल पुराने नियम को वापस ले लिया है। मई 2021 में NHAI ने नए नियम के तहत कहा था कि प्रति टोल बूथ पर वाहनों का प्रवाह 10 सेकंड से कम होना चाहिए और किसी भी लेन में वाहनों की संख्या टोल बूथ से 100 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
नए नियम के तहत एनएचएआई ने आदेश दिया था कि अगर टोल बूथ से 100 मीटर की दूरी तक वाहनों की कतार लगी है तो उन्हें बिना टोल चुकाए गुजरने दिया जाएगा। एनएचएआई ने यह नियम उन टोल बूथों के लिए बनाया था जहां प्रोजेक्ट का काम चल रहा है और टोल प्लाजा के लिए जमीन अधिग्रहण होना बाकी है।
एनएचएआई ने तीन साल बाद नियम वापस लिया
हालांकि, अब तीन साल बाद एनएचएआई ने 2021 की उस नीति को वापस ले लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नियम को लागू करने में आने वाली दिक्कतों और नागरिकों की आलोचना के बाद इस नियम को हटा दिया गया है। एनएचएआई ने अब लंबी लाइनों को मैनेज करने के लिए लाइव फीड सिस्टम लागू किया है।
टोल प्लाजा के प्रबंधन के लिए एनएचएआई द्वारा हाल ही में जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा समय को लेकर लागू नियमों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है, क्योंकि एनएच शुल्क नियम 2008 में ऐसी छूट का कोई उल्लेख नहीं है।
बिना टोल चुकाए टोल चुकाने की अनुमति थी
वर्ष 2021 में लाए गए इस प्रावधान में कहा गया था कि टोल बूथों पर यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों को पीक ऑवर्स के दौरान टोल टैक्स देने में 10 सेकंड से ज़्यादा समय न लगे। अगर किसी भी समय किसी लेन में वाहनों की कतार टोल बूथ से 100 मीटर से ज़्यादा हो जाती है, तो उस लेन के बूम बैरियर को हटा दिया जाएगा और वाहनों को बिना टोल टैक्स दिए जाने दिया जाएगा।
इसके लिए हर लेन में टोल बूथ से 100 मीटर की दूरी पर पीली लाइन बनाकर इस नियम को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस प्रावधान के कारण एनएचएआई को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था। क्योंकि इस तरह के प्रावधान को लागू करना लगभग असंभव था। यहां तक कि इस नियम को लेकर कई बार संसद में भी सवाल उठे थे। इसलिए इस नियम को हटा दिया गया है।
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