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Bank Locker Rules: You cannot keep these things in a bank locker as per RBI rules, know details

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बैंक लॉकर नियम: कई बैंकों द्वारा लॉकर सुविधा प्रदान की जाती है। इस लॉकर में लोग अपने महत्वपूर्ण कागजात, आभूषण या कोई अन्य ऐसी वस्तु रखते हैं, जिसकी सुरक्षा की बहुत आवश्यकता होती है।

बैंक लॉकर नियम: कई बैंकों द्वारा लॉकर की सुविधा दी जाती है। इस लॉकर में लोग अपने जरूरी कागजात, आभूषण या कोई अन्य ऐसा सामान रखते हैं, जिसकी सुरक्षा की काफी जरूरत होती है। इस वजह से इसे सेफ डिपॉजिट लॉकर भी कहा जाता है। कई लोगों को लगता है कि वे बैंक में कुछ भी रख सकते हैं, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक इसमें कुछ चीजें रखने की मनाही है। आइए जानते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक के संशोधित नियम क्या हैं।

बैंक लॉकर में क्या रखा जा सकता है?

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, बैंक लॉकर का इस्तेमाल केवल वैध उद्देश्यों के लिए ही किया जा सकता है। इसमें आभूषण और दस्तावेज जैसी कीमती चीजें रखी जा सकती हैं। लॉकर में आपकी ये चीजें पूरी तरह सुरक्षित रहती हैं।

बैंक लॉकर में कौन सी चीजें रखना वर्जित है?

  • भारतीय स्टेट बैंक की वेबसाइट के अनुसार, सबसे पहले तो आप लॉकर में नकदी या करेंसी नहीं रख सकते।
  • इसके अलावा किसी भी बैंक लॉकर में हथियार, विस्फोटक, ड्रग्स जैसी चीजें नहीं रखी जा सकेंगी।
  • अगर कोई सड़ने वाली चीज हो तो उसे भी लॉकर में नहीं रखा जा सकता।
  • किसी भी रेडियोधर्मी पदार्थ या कोई भी अवैध वस्तु या ऐसी कोई भी वस्तु, जो भारतीय कानून के अनुसार प्रतिबंधित है, उसे बैंक लॉकर में नहीं रखा जा सकता।
  • बैंक लॉकर में ऐसी कोई सामग्री नहीं रखी जा सकती, जिससे बैंक या उसके किसी ग्राहक को खतरा हो।

दो चाबियों से खुलता है बैंक लॉकर

  • बैंक लॉकर खोलने के लिए दो चाबियों की ज़रूरत होती है। एक चाबी ग्राहक के पास होती है और दूसरी बैंक मैनेजर के पास। जब तक दोनों चाबियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, लॉकर नहीं खुलेगा। अब सवाल यह है कि अगर बैंक लॉकर की चाबी खो जाए तो क्या होगा? बैंक लॉकर से जुड़े नियम क्या हैं? आइए जानते हैं।
  • अगर बैंक लॉकर की चाबी खो जाती है तो सबसे पहले आपको बैंक को इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही चाबी खोने की एफआईआर भी दर्ज करानी होगी। अगर आपके बैंक लॉकर की चाबी खो जाती है तो उस स्थिति में दो चीजें हो सकती हैं-
  • सबसे पहले बैंक आपके लॉकर की नई चाबी जारी करता है। इसके लिए बैंक डुप्लीकेट चाबी बनवाएगा। हालांकि, डुप्लीकेट चाबी बनवाने में यह जोखिम रहता है कि उस लॉकर की डुप्लीकेट चाबी बनाने वाला व्यक्ति भविष्य में कोई गलत काम कर सकता है।
  • दूसरी स्थिति यह है कि बैंक आपको दूसरा लॉकर जारी कर देगा और पहला लॉकर तोड़ दिया जाएगा। लॉकर तोड़ने के बाद उसका सारा सामान दूसरे लॉकर में शिफ्ट कर दिया जाएगा और उसकी चाबी ग्राहक को दे दी जाएगी। हालांकि, लॉकर तोड़ने से लेकर उसे दोबारा रिपेयर करवाने तक का सारा खर्च ग्राहक को ही उठाना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कोशिश करें कि चाबी को बहुत संभालकर रखें।

लॉकर कैसे टूटा?

बैंक लॉकर की व्यवस्था ऐसी है कि इसे खोलने से लेकर तोड़ने तक हर काम के दौरान ग्राहक और बैंक अधिकारी दोनों मौजूद रहते हैं। जब भी कोई ग्राहक बैंक में अपना लॉकर खोलना चाहता है तो बैंक मैनेजर भी उसके साथ लॉकर रूम में जाता है। वहां लॉकर में दो चाबियाँ इस्तेमाल होती हैं। एक चाबी ग्राहक के पास होती है और दूसरी बैंक के पास। जब तक दोनों चाबियाँ इस्तेमाल नहीं की जातीं, लॉकर नहीं खुलेगा। लॉकर अनलॉक होने के बाद बैंक अधिकारी कमरे से बाहर चला जाता है और ग्राहक पूरी गोपनीयता के साथ लॉकर में रखे सामान को देख सकता है, बदल सकता है या निकाल सकता है।

इसी तरह जब बैंक लॉकर तोड़ा जाता है तो बैंक अधिकारी के साथ-साथ ग्राहक का भी वहां मौजूद होना ज़रूरी होता है। अगर लॉकर संयुक्त रूप से लिया जाता है तो सभी सदस्यों का वहां मौजूद होना ज़रूरी होता है। अगर ग्राहक लिखकर देता है कि उसकी गैरमौजूदगी में भी लॉकर तोड़ा जा सकता है तो ग्राहक के बिना भी लॉकर तोड़ा जा सकता है और उसमें मौजूद सामान को दूसरे लॉकर में शिफ्ट किया जा सकता है।

बैंक स्वयं लॉकर कब तोड़ सकता है?

अगर किसी व्यक्ति पर कोई आपराधिक मामला दर्ज है और ऐसा लगता है कि उसने अपने लॉकर में कुछ ऐसा छिपा रखा है जो अपराध से संबंधित हो सकता है, तो लॉकर को तोड़ा जा सकता है। हालांकि, इस मामले में बैंक अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों की भी आवश्यकता होती है।

एसबीआई के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति 3 साल तक अपने लॉकर का किराया नहीं देता है तो बैंक लॉकर तोड़कर अपना किराया वसूल सकता है। अगर ग्राहक का लॉकर 7 साल तक बंद रहता है और ग्राहक का कोई पता नहीं चलता है, तो भी अगर किराया आता रहता है, तो बैंक उस लॉकर को तोड़ सकता है।

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careermotto

A self-motivated and hard-working individual, I am currently engaged in the field of digital marketing to pursue my passion of writing and strategising. I have been awarded an MSc in Marketing and Strategy with Distinction by the University of Warwick with a special focus in Mobile Marketing. On the other hand, I have earned my undergraduate degrees in Liberal Education and Business Administration from FLAME University with a specialisation in Marketing and Psychology.

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