CBT Full Form in Hindi: आज के इस लेख में हम सीबीटी की फुल फॉर्म क्या होती है? इसके बारे में बताएंगे: अगर आप भी CBT की सही फुल फॉर्म को जानने के लिए हमारे ब्लॉग पर आए हैं तो fullformsinhindi.in पर आपका स्वागत हैं। यंहा पर हम आपको सीबीटी के फुल फॉर्म के साथ ही इससे जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी देंगे।
वैसे तो सीबीटी की कई फुल फॉर्म होती हैं। जिनमे से अक्सर लोग CBT Exam Full in hindi और दूसरी CBT Full Form in Medical के बारे में सर्च करते हैं, तो हम आपको इस पोस्ट को दोनो तरह के सीबीटी की बिल्कुल सही और सटीक फुल फॉर्म बताऊंगा। चलिये सबसे पहले मैं आपको CBT Exam Full Form in Hindi के बारे में बताता हूँ।
CBT Full Form in Hindi
सीबीटी का एग्जाम के संदर्भ में फुल फॉर्म कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम होता है।
C: Computer
B: Based
T: Test
CBT Full Form in Medical
मेडिकल के फील्ड में सीबीटी की फुल फॉर्म कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी होती है।
C: Cognitive
B: Behavioral
Therapy
अब आपको सीबीटी की सही फुल फॉर्म के बारे में पता चल गया है। चलिये जान लेते हैं कि CBT एग्जाम क्या होता है और मेडिकल के फील्ड में CBT kya hota hai।
CBT Exam Kya hai
सीबीटी एग्जाम का मतलब है कि कंप्यूटर के माध्यम से परीक्षा का आयोजन होना। आज के समय मे लगभग सारे बड़े- बड़े एग्जाम कंप्यूटर के जरिये ही होते हैं, जिनको कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम (CBT) कहते हैं। सीबीटी का हिंदी में मीनिंग कंप्यूटर आधारित परीक्षण होता है। काफी लोग सीबीटी एग्जाम को ऑनलाइन एग्जाम भी बोलते हैं।
CBT एग्जाम के फायदे
कंप्यूटर बेस्ड परीक्षा (CBT) की प्रक्रिय बहुत ही सुरक्षित होती है। एक बार जब सारे प्रश्न अपलोड होने के बाद, सॉफ्टवेयर के द्वारा उन प्रशन का फेर-बदल कर के छात्रो को दिये जाते है। जिससे छात्र आपस मे नकल नही कर सकते है। इसमे शिक्षको को पेपर लीक जैसी किसी भी समस्याओं का सामना नही करना पड़ता।
CBT एग्जाम की प्रक्रिया नकल करने से रोकने मे सक्षम है। यदि कोइ छात्र नकल करने की कोशिश भी करेगा तो कॅमप्यूटर द्वारा उसे चेतावनी दी जाती। तीन चेतवनियो के बाद छात्र की का पेपर बंद कर दिया जाता है।
एक ऑनलाइन परीक्षा में (सीबीटी) में प्राप्त अंकों की गिनती तुरंत और सटीक रूप से की जा सकती है। जोकीं पारंपरिक तरह की परिक्षाओं मे संभव नहीं है। पारंपरिक परिक्षाओं को सम्पन्न कराने, उनको जांचने, परिणाम उतपन्न करने मे बहुत समय लगता है। जबकि सीबीटी परीक्षा का इस्तेमल कर के आप अपनी परिक्षा के परिणाम जल्द ही पा कर बहुत सारा समय बचा पाते हैं।
ऑनलाइन परीक्षा (CBT) की वजह से अतिरिक्त खर्चों में कटौती होती है। परिक्षा का संचालन पूर्ण रूप से टेकनोलॉजी के द्वारा किया जाता है। जब आप विभिन्न स्थानों पर अधिक उम्मीदवारों के लिए परीक्षा आयोजित करना चाहते हैं तो यह खर्चें कम करने के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है।
ऑनलाइन परीक्षा (CBT) मे प्रश्नपत्र बनाना काफी आसान है। पारंपरिक परिक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र बनाना थोड़ा कठिन कार्य है। शिक्षकों को खुद प्रश्न चुनकर, उनकी प्रिंटिंग व गोपनीयता को सुनिश्चित करना हॉट है।
वंही ऑनलाइन परीक्षा या सीबीटी मे आप सभी तरह के प्रश्न अपलोड कर सकते है। इसमें पेपर के लीक होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है।
परिक्षा के सम्पन्न होने के बाद उसका विश्लेषण भी टेक्नोलॉजी द्वारा संभव है। इसमे आप व्यक्तिगत प्रदर्शन और पूरे समूह के प्रदर्शन का विश्लेषण आसानी से कर सकते है।
ऑनलाइन प्रॉक्टरिंग एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमे निरीक्षक को स्वयं ही परीक्षा केंद्र मे होने की जरूरत नही होती। वह अपने कम्प्यूटर पर अलग-अलग स्क्रीन पर जो छात्र परीक्षा दे रहे है उनको देख सकता है।
सीबीटी का प्रबंधन काफी आसान होता है।
पारंपरिक परिक्षाओं मे एक या इससे ज्यादा निरीक्षक का होना बहुत आवश्यक है। एक निरीक्षक लगभग 30से 50 कैंडिडेट पर एक परीक्षा के दौरान नज़र रखता है। मगर इस मे बहुत समस्याऐं काफी होती है। जबकि सीबीटी में ऐसा कुछ भी नही होता है।
ऑफलाइन परीक्षा की तुलना में ऑनलाइन परीक्षा या सीबीटी काफी सस्ती प्रक्रिया होने के साथ ही काफी सुरक्षित भी है।
Medical के फील्ड में CBT क्या होता है?
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) का प्रयोग मनोवैज्ञानिक समस्याओं के इलाज के में किया जाता है। इस थेरपी के द्वारा रोगी की नकारात्मक सोच में परिवर्तन के साथ ही उसके दृष्टिकोण और भावनाओं में परिवर्तन लाने की भी कोशिश की जाती है। मानसिक संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों की सोच और उनके द्वारा चीजों को देखने के उनके तरीके को बदलने और उनमें सकारात्मकता का संचार करने में सीबीटी को काफी फायदेमंद उपचार पद्धति माना जाता है।
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) एक प्रकार की टॉक थेरेपी होती है। जिसमें मनोवैज्ञानिक, रोगी को उनके नकारात्मक विचारों, व्यवहारों की पहचान कराने में मदद करते हैं। सीबीटी थेरेपी से इन विचारों को बदलने और चीजों को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है। कोई भी व्यक्ति सीबीटी की थेरेपी ले सकता है, यह जरूरी नहीं है कि जिन लोगों में मानसिक बीमारी का निदान हुआ हो सिर्फ उन लोगों को ही सीबीटी की आवश्यकता होती है।
मौजूदा समय में काफी ज्यादा लोग तनाव या चिंता से ग्रस्त हैं, कभी-कभी ये छोटी-छोटी समस्याएं भी काफी गंभीर रूप ले सकती हैं। ऐसे में जब कभी भी आप बहुत दुखी महसूस करते हों या किसी स्थिति से बाहर निकलने में असमर्थ महसूस करते हों तो चिकित्सक से सीबीटी थेरेपी को लेने के बारे में सलाह ले सकते हैं।
सीबीटी थेरेपी के द्वारा नकारात्मक विचारों की श्रृंखला को तोड़ने का प्रयास किया जाता है। चिंता अवसाद, मनोविकृति और हाइपोकॉन्ड्रिया जैसी मानसिक समस्याओं के इलाज में सीबीटी को बेहतर माना जाता है। कई बार थेरपी के साथ में कुछ दवाओं को भी प्रयोग में लाया जाता है।
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) कैसे काम करती है?
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) उन विचार पर आधारित है जो जीवन की परिस्थितियों, अनुभव, रिश्तों और समस्याएं के आधार पर मनुष्य की सोच, भावनाओं और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करती है। सीबीटी के दौरान मनोवैज्ञानिक, व्यक्ति की उन सोच और शैलियों, नकारात्मक भावों को बदलने की कोशिश करते हैं जो उसकी समस्याओं को बढ़ा रही होती हैं।
थेरेपी के दौरान रोगीयों को उनकी सोच से जुड़ी त्रुटियों को पहचानने में सहायता की जाती है, जिसके कारण उसको समस्याएं पैदा हो रही हैं। इसके बाद नई और सकारात्मक सोच के आधार पर अपने विचारों और भावनाओं का पुनर्मूल्यांकन कराने की कोशिश की जाती है।
नकारात्मकता और सोच में त्रुटियों की वजह से रोगी के लिए अपने व्यवहार को समझ पाना काफी मश्किल हो जाता है। ऐसे में सीबीटी थेरेपिस्ट उनकी सोच में बदलाव करके चीजों को बेहतर ढंग से उनको समझाने का प्रयास करते हैं। सीबीटी का एक अहम हिस्सा रोगी में कठिन परिस्थितियों से निपटने और समस्याओं को सुलझाने के गुण को भी विकसित करना होता है।
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उम्मीद है CBT Full Form in Hindi ये आर्टिकल आपको पसन्द आया होगा, क्योंकि इसमे मैंने CBT की फुल फॉर्म मेडिकल के फील्ड में क्या होती है और ऑनलाइन एग्जाम के फील्ड में CBT की फुल फ़ॉर्म क्या होती है। इसके बारे में डिटेल में बताया है।