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Good news! Noida International Airport will start soon, first flight in April 2025

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नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जिसे जेवर हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है, का निर्माण तीव्र गति से किया जा रहा है और यह एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनने के लिए तैयार है।

एशिया का सबसे बड़ा माना जाने वाला नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अप्रैल 2025 में अपनी पहली उड़ान का स्वागत करने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित इस महत्वाकांक्षी परियोजना में छह रनवे होंगे, जो दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वर्तमान में उपलब्ध संख्या से दोगुने हैं और इसमें सालाना करोड़ों यात्रियों को संभालने की क्षमता होगी।

एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा जल्द शुरू होगा

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जिसे जेवर एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, तेजी से आकार ले रहा है और इसका एक रनवे बनकर तैयार भी होने वाला है। 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की आधारशिला रखी थी। 3.9 किलोमीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा यह रनवे अभी विकास के अंतिम चरण में है। प्रोजेक्ट हेड दिनेश जामवाल के मुताबिक रनवे का काम पूरा हो चुका है, लेकिन लाइटिंग का काम अभी बाकी है। जामवाल ने कहा, “लाइटिंग के लिए मार्किंग का काम चल रहा है और उम्मीद है कि अगले दो महीने में यह काम पूरा हो जाएगा।” रनवे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यहां बेहतर जल निकासी व्यवस्था हो। इसलिए भारी बारिश के दौरान भी जलभराव की समस्या नहीं होगी।

आपको बता दें कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का टर्मिनल स्ट्रक्चर भी आकार ले रहा है, जिसका डिज़ाइन उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। टर्मिनल का प्रवेश बिंदु वाराणसी के प्रतिष्ठित घाटों से प्रेरित है, जो यात्रियों को एक अनूठा सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। 10 गेट वाला यह टर्मिनल लगभग तैयार है और एप्रन एरिया- जहाँ से यात्री अपनी फ्लाइट में सवार होंगे- भी तैयार है। साइट पर कई बोर्डिंग ब्रिज पहले ही पहुंचा दिए गए हैं। इसके अलावा एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) टावर भी लगभग तैयार है।

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उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित इस हवाई अड्डे का विकास दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ कम करने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बढ़ती हवाई यातायात मांग को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। सितंबर में परीक्षण उड़ानें निर्धारित हैं, उसके बाद दिसंबर में सत्यापन उड़ानें होंगी। परीक्षण उड़ानों का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या हवाई अड्डा सभी परिचालन मानकों को पूरा करता है। दिल्ली हवाई अड्डे से इसकी निकटता को देखते हुए, किसी भी संभावित टकराव को कम करने के लिए दोनों हवाई अड्डों के लिए समर्पित उड़ान पथ सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

1,334 एकड़ क्षेत्र में फैले नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा किया जा रहा है, जो स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। पूरा होने पर, यह न केवल भारत में एक प्रमुख विमानन केंद्र के रूप में काम करेगा, बल्कि क्षेत्रीय संपर्क, आर्थिक विकास और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की मुख्य विशेषताएं

1. भारत में अपनी तरह का पहला: नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत का पहला हवाई अड्डा होगा जो बहु-कार्गो संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है और शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करेगा।
2. छह रनवे: हवाई अड्डे पर छह रनवे होंगे, जबकि दिल्ली हवाई अड्डे पर तीन रनवे हैं।
3. विमान पार्किंग: हवाई अड्डे पर एक साथ 178 विमान पार्क करने की क्षमता होगी।
4. निवेश और लागत: निर्माण की कुल अनुमानित लागत लगभग 10,000 करोड़ रुपये है और 35,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश प्रस्तावित है।
5. यात्री क्षमता: हवाई अड्डे से शुरुआत में प्रति वर्ष लगभग 1 करोड़ 20 लाख यात्रियों को संभालने की उम्मीद है और 2040-50 तक क्षमता को 7 करोड़ यात्री तक बढ़ाने की योजना है।
6. स्टैंड: हवाई अड्डे पर 186 विमान स्टैंड होंगे।

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