Income Tax Saving: How to save income tax on income of Rs 10.5 lakh after budget announcement
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इनकम टैक्स सेविंग: इनकम टैक्स स्लैब पर राहत का इंतजार कर रहे सैलरीड क्लास को मंगलवार को निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के बाद झटका लगा है। नई टैक्स व्यवस्था में राहत मिलने के बाद अब 7.75 रुपये तक टैक्स नहीं देना होगा।
Income Tax Saving: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को सातवीं बार देश का बजट पेश किया है। बजट पेश करते हुए सैलरीड क्लास को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। वित्त मंत्री ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 फीसदी बढ़ा दिया है। अब नई टैक्स व्यवस्था के तहत आप स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर 50,000 रुपये की जगह 75,000 रुपये क्लेम कर सकते हैं। इसके अलावा अब 7 से 10 लाख की आय पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा। पहले 7 से 9 लाख की आय पर 10 फीसदी टैक्स देना पड़ता था।
7.75 लाख की आय पर एक भी रुपए का टैक्स नहीं
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी के बाद नई टैक्स व्यवस्था के तहत 7.75 लाख की आय पर एक भी रुपया टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन अगर आपकी आय इससे ज़्यादा यानी 10.50 लाख रुपये है, तो क्या आप इनकम टैक्स बचा सकते हैं? इसका जवाब है हां, 10.50 लाख रुपये की सालाना आय पर आपको एक भी रुपया टैक्स नहीं देना होगा। अगर आप भी इनकम टैक्स बचाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको पुरानी टैक्स व्यवस्था का चयन करना होगा।
आपको 49,400 रुपये का सीधा लाभ मिलेगा
पुरानी टैक्स व्यवस्था में आप कई तरह की छूट का दावा कर सकते हैं। वहीं अगर आप नई टैक्स व्यवस्था में जाते हैं तो आपको इस आय पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा। इसके तहत 10 से 12 लाख की आय पर 15 फीसदी टैक्स देना होता है। स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद इस आय पर 49,400 रुपये का टैक्स बनता है। आइए जानते हैं कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में आप इस टैक्स को कैसे बचा सकते हैं?
2.50 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं
आयकर की पुरानी व्यवस्था के तहत 2 लाख 50 हजार रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। लेकिन यहां हम आपको बताएंगे कि आप 10.5 लाख रुपये तक की आय पर आयकर की देनदारी से कैसे बच सकते हैं। यानी 10.5 लाख रुपये तक की आय पर आपको एक भी रुपये का टैक्स नहीं देना होगा। आइए जानते हैं कैसे?
1. अगर आपकी सालाना आय 10.50 लाख रुपये है तो आप इनकम टैक्स देने से कैसे बच सकते हैं। यहां हम आपको इसका पूरा गणित बताएंगे। इस आय पर आपको सबसे पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत 50 हजार रुपये की छूट मिलेगी। इससे आपकी 10.50 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम घटकर 10 लाख रुपये रह जाती है।
2. अब 10 लाख रुपये की आय में से आप आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक की बचत का दावा कर सकते हैं। धारा 80सी के तहत आप एलआईसी, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि बच्चों की ट्यूशन फीस, म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) और ईपीएफ में किए गए निवेश पर दावा कर सकते हैं। इसके तहत आप होम लोन की मूल राशि पर भी दावा कर सकते हैं। इस तरह आपकी कर योग्य आय 8 लाख 50 हजार रुपये रह जाती है।
3. इसके बाद आप आयकर अधिनियम की धारा 24बी के तहत 2 लाख रुपये का दावा कर सकते हैं। यह छूट आपको होम लोन की ब्याज राशि पर मिलती है। इन दो लाख रुपये का दावा करने के बाद आपकी कर योग्य आय 6.50 लाख रुपये रह जाती है।
4. इसके बाद आप टैक्स सेविंग के लिए सेक्शन 80डी के तहत 25000 रुपये तक का मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं। अगर आपके माता-पिता सीनियर सिटीजन हैं तो आप उनके हेल्थ इंश्योरेंस के लिए 50000 रुपये क्लेम कर सकते हैं। इस तरह अगर आप 75000 रुपये का प्रीमियम क्लेम करते हैं तो आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 5.75 लाख रुपये रह जाती है।
5. अब आप टैक्स देनदारी कम करने के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में 50,000 रुपये का निवेश कर सकते हैं। आप इसे 80CCD (1B) के तहत क्लेम कर सकते हैं। यानी अब आपकी टैक्सेबल इनकम यहाँ 5.25 लाख रुपये रह गई है। आप इसे और भी कम कर सकते हैं।
6. इसके बाद अगर आप किसी संस्था या ट्रस्ट को 25000 रुपये दान करते हैं तो आपको आयकर की धारा 80जी के तहत लाभ मिलेगा और आपकी कर योग्य आय घटकर 5 लाख रुपये रह जाएगी।
7. 2.50 लाख से 5 लाख रुपये की आय पर 12500 रुपये का टैक्स 5 प्रतिशत है। लेकिन सरकार की ओर से आपको इसमें छूट दी जाती है। इस तरह आपका टैक्स शून्य रुपये रह जाता है।
आपको बता दें कि पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। इसके बाद 5 से 10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। इसके अलावा 10 लाख रुपये और उससे ज्यादा की सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स देनदारी है।