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ITR Filing: What will you do if you receive an income tax notice? Know the answer

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आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद आयकर विभाग रिफंड प्रक्रिया शुरू करता है। साथ ही उन करदाताओं को नोटिस भी भेजता है जिनके आयकर रिटर्न में किसी तरह की कमी पाई जाती है।

आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने के बाद करदाताओं को रिफंड का इंतजार रहता है। रिफंड उन्हीं करदाताओं को दिया जाता है, जिन्होंने अधिक टैक्स चुकाया है। इसके अलावा अगर करदाता के आयकर रिटर्न में कोई गड़बड़ी है, तो आयकर विभाग नोटिस भेजता है। आयकर विभाग नोटिस भेजने के लिए अलग-अलग सेक्शन का इस्तेमाल करता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

धारा 143(1) के तहत नोटिस

इस धारा के तहत भेजे गए नोटिस का उद्देश्य आपको यह सूचित करना है कि आयकर विभाग ने आपके ITR में उल्लिखित कर का मिलान कर लिया है। यह एक प्रारंभिक मूल्यांकन है, जिसे सारांश मूल्यांकन भी कहा जाता है। इसमें कर की विस्तृत समीक्षा नहीं होती है। एक तरह से इसका मतलब है कि आपका रिटर्न फिलहाल प्रोसेस हो चुका है। इससे आपको यह भी पता चलता है कि आपको अतिरिक्त कर देना है या आपका रिफंड बन रहा है।

इस धारा के अंतर्गत तीन प्रकार की सूचनाएं हैं:

1. मांग या रिफंड के बिना सूचना: यह सूचना तब जारी की जाती है जब आयकर विभाग करदाता द्वारा दाखिल रिटर्न को स्वीकार कर लेता है और इसमें किसी समायोजन की आवश्यकता नहीं होती है।

2. मांग के साथ सूचना: यह सूचना तब भेजी जाती है जब आयकर विभाग ने कोई समायोजन कर लिया हो और पाया हो कि करदाता को अभी भी कुछ और कर चुकाना है।

3. रिफंड के साथ सूचना: यह सूचना तब भेजी जाती है जब करदाता ने अतिरिक्त टीसीएस, टीडीएस, अग्रिम कर या स्व-मूल्यांकन कर का भुगतान किया हो। इसका मतलब है कि करदाता को विभाग से रिफंड मिलेगा।

धारा 142(1) के अंतर्गत नोटिस

यह नोटिस तब भेजा जाता है जब आयकर विभाग करदाता से कुछ और जानकारी चाहता है। यह नोटिस तब भी भेजा जाता है जब आईटीआर में किसी जानकारी के बारे में स्पष्टीकरण की आवश्यकता होती है या किसी दावे के लिए अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।

धारा 143(2) के अंतर्गत नोटिस

अगर आयकर विभाग का कर निर्धारण अधिकारी (AO) धारा 142(1) के तहत जारी नोटिस या आपके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के जवाब से संतुष्ट नहीं है, तो वह इस धारा के तहत नोटिस जारी कर सकता है। इसका मतलब है कि करदाता के ITR की बारीकी से समीक्षा करना ज़रूरी है।

धारा 148 के अंतर्गत नोटिस

जब आयकर विभाग को लगता है कि आप अपनी कोई आय बताना भूल गए हैं या आपने पूरा कर नहीं चुकाया है, तो वह इस धारा के तहत नोटिस भेजता है। यह संशोधित रिटर्न दाखिल करने के लिए एक औपचारिक अनुरोध है।

नोटिस प्राप्त होने पर आपको क्या करना चाहिए?

जब आपको आयकर विभाग से कोई नोटिस मिलता है, तो सबसे पहले आपको उसे ठीक से समझने की कोशिश करनी चाहिए। आपके लिए यह जानना ज़रूरी है कि आयकर नोटिस का जवाब देने के लिए आपको 30 दिन का समय मिलता है। इसका मतलब है कि आपके पास नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय है। इसलिए करदाता को जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। मामले को ठीक से समझने के बाद ही नोटिस का जवाब देना चाहिए। अगर करदाता 30 दिनों के भीतर नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो विभाग बिना किसी समायोजन के आपके रिटर्न को प्रोसेस कर देगा। इसके बाद आपको किसी भी तरह का सुधार करने का मौका नहीं मिलेगा।

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careermotto

A self-motivated and hard-working individual, I am currently engaged in the field of digital marketing to pursue my passion of writing and strategising. I have been awarded an MSc in Marketing and Strategy with Distinction by the University of Warwick with a special focus in Mobile Marketing. On the other hand, I have earned my undergraduate degrees in Liberal Education and Business Administration from FLAME University with a specialisation in Marketing and Psychology.

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