Mutual Fund Rules: Mutual Fund rules have changed! SEBI told what will happen now?
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नई योजनाएं निवेशकों को बेहतर रिटर्न के अवसर प्रदान करेंगी। एमएफ लाइट के जरिए बाजार में ज्यादा नकदी आएगी और निवेश विविधता बढ़ेगी। नये उत्पादों से अनाधिकृत निवेश योजनाओं पर रोक लगेगी।
शेयर बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए नए नियम पेश किए हैं। नए बदलावों में स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड्स (एसआईएफ) और म्यूचुअल फंड लाइट की रूपरेखा शामिल है। उनका मकसद निवेशकों को नए विकल्प देना और निवेश बाजार को बेहतर बनाना है.
विशिष्ट निवेश कोष (SIF) क्या है?
सेबी ने उच्च जोखिम वाले निवेशकों के लिए विशेष निवेश कोष पेश किया है। एसआईएफ के तहत, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को आधुनिक निवेश रणनीतियों को लागू करने की अनुमति दी जाएगी। ये फंड ओपन-एंडेड योजनाओं और क्लोज-एंडेड योजनाओं के लिए पेश किए जाएंगे। इन योजनाओं में प्रति निवेशक न्यूनतम 10 लाख रुपये का निवेश अनिवार्य होगा। हालाँकि, यह नियम मान्यता प्राप्त निवेशकों पर लागू नहीं होगा। इसके अलावा सेबी ने कहा है कि एसआईएफ की ब्रांडिंग और पहचान म्यूचुअल फंड स्कीमों से अलग सुनिश्चित करनी होगी. इसका उद्देश्य निवेशक सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
म्यूचुअल फंड लाइट
सेबी ने म्यूचुअल फंड की इंडेक्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) योजनाओं के लिए ‘म्यूचुअल फंड लाइट’ की रूपरेखा पेश की है। इसका उद्देश्य निवेश प्रक्रिया को सरल बनाना, नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना और निवेश बाजार को व्यापक बनाना है।
मुख्य विशेषताएं क्या हैं
नई परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के लिए नियमों को सरल बनाया गया है। एएमसी को शुरुआत में कम से कम 35 करोड़ रुपये का शुद्ध मूल्य बनाए रखना होगा। लगातार 5 साल तक मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के लिए यह नेटवर्थ घटकर 25 करोड़ रुपये रह जाएगी। एमएफ लाइट से बाजार में नकदी बढ़ेगी और निवेशकों को अधिक विकल्प मिलेंगे।
नए नियमों का उद्देश्य
नई योजनाएं निवेशकों को बेहतर रिटर्न के अवसर प्रदान करेंगी। एमएफ लाइट के जरिए बाजार में ज्यादा नकदी आएगी और निवेश विविधता बढ़ेगी। नए उत्पाद अनधिकृत निवेश योजनाओं पर रोक लगाएंगे, जो अक्सर अव्यावहारिक रिटर्न का वादा करती हैं। सेबी के इन बदलावों से म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो प्रबंधन के बीच अंतर कम हो जाएगा। निवेशकों के पास अब अधिक विकल्प होंगे और वे अपने जोखिम के अनुसार योजनाओं में निवेश कर सकेंगे। सेबी के इस कदम से निवेश बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और नए निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
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