News

Salaries: What is the difference between CTC and in-hand salary, know how salary is calculated

– विज्ञापन –

– विज्ञापन –

वेतन: भारत में सर्विस सेक्टर बहुत बड़ा है और शहरी इलाकों में ज़्यादातर आबादी सर्विस सेक्टर में काम करती है। सर्विस सेक्टर में काम करने वाले ज़्यादातर लोगों को महीने में एक बार आमदनी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी सैलरी में क्या-क्या कटौती की जाती है और आपकी इन-हैंड सैलरी और CTC सैलरी कितनी है? आज हम आपके इन्हीं सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे।

वेतन: भारत में कृषि के बाद अगर कोई ऐसा क्षेत्र है जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है तो वो है सर्विस सेक्टर। सर्विस सेक्टर में काम करने वाले ज़्यादातर लोगों को महीनेवार आय होती है। लेकिन बहुत से लोगों को अपनी महीनेवार आय और सालाना आय में अंतर नहीं पता होता। सैलरी के संबंध में आपने अक्सर CTC और इन-हैंड सैलरी या ग्रॉस पे और नेट पे जैसे शब्द सुने होंगे। लेकिन इन शब्दों का मतलब क्या होता है? CTC और इन-हैंड सैलरी में क्या अंतर होता है? आज हम आपके इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे और आपको सैलरी कैलकुलेशन भी समझाएंगे।

सकल वेतन बनाम शुद्ध वेतन

CTC को ग्रॉस पे भी कहते हैं और मासिक कमाई को नेट पे कहते हैं। CTC या ग्रॉस पे आपकी सालाना कमाई है जिसमें से टैक्स और दूसरी तरह की कटौती (PF, ग्रेच्युटी आदि) नहीं की गई है। CTC में कंपनी की ओर से दी जाने वाली दूसरी सुविधाएं भी शामिल होती हैं। CTC से PF, ग्रेच्युटी और टैक्स काटकर आपको हर महीने जो सैलरी दी जाती है, उसे आपकी नेट सैलरी कहते हैं। अब आप CTC और इन-हैंड सैलरी में अंतर जान गए होंगे। चलिए अब आपको बताते हैं कि आपकी सैलरी की गणना कैसे होती है?

यह भी पढ़ें- FD दरें: ये 5 बैंक 3 साल की FD पर दे रहे हैं 9% तक ब्याज

ऐसे करें अपने वेतन की गणना

अपनी इन-हैंड सैलरी की गणना करने के लिए आपको सबसे पहले यह पता लगाना होगा कि आपकी सैलरी से क्या-क्या कटौती की जाती है और आपको कौन-कौन से भत्ते मिलते हैं? उदाहरण के लिए, आमतौर पर की जाने वाली कटौती में टैक्स, पीएफ और ग्रेच्युटी शामिल होती है। वहीं कर्मचारियों को दिए जाने वाले भत्तों में एचआरए, डीए और सालाना बोनस भी शामिल होता है। टैक्स स्लैब के हिसाब से अपनी सैलरी से टैक्स काट लें, बेसिक सैलरी का 12% पीएफ के तौर पर काट लें और ग्रेच्युटी निकाल लें। इसके बाद हर महीने मिलने वाले एचआरए, डीए और दूसरे भत्तों को अपनी बेसिक सैलरी में जोड़ लें। इसकी गणना के बाद जो रकम आपके पास आएगी, वही आपकी नेट सैलरी होगी।

संबंधित आलेख:-

ट्रैफिक नियम: इन 4 गलतियों की वजह से कट सकता है आपके वाहन का चालान, जानें डिटेल

आयुष्मान भारत योजना: आयुष्मान कार्ड के लिए कौन पात्र है?

Subhadra Yojana: क्या है सुभद्रा योजना और कैसे महिलाओं को मिलेंगे 10,000 रुपये, जानें यहां

careermotto

A self-motivated and hard-working individual, I am currently engaged in the field of digital marketing to pursue my passion of writing and strategising. I have been awarded an MSc in Marketing and Strategy with Distinction by the University of Warwick with a special focus in Mobile Marketing. On the other hand, I have earned my undergraduate degrees in Liberal Education and Business Administration from FLAME University with a specialisation in Marketing and Psychology.

Related Articles

Back to top button