Section 80C deduction limit increase: Government can increase Section 80C Deduction limit in this budget, know update
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बजट 2024: इस बार वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) अंतरिम बजट (अंतरिम बजट 2024-25) पेश करेंगी। सरकार इसकी सीमा 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर सकती है. वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये से बढ़कर 75,000 रुपये हो सकती है.
बजट 2024: देश का बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा. हर साल की तरह इस बजट से भी सभी को काफी उम्मीदें हैं. हालांकि, इस बार अंतरिम बजट 2024-25 वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) पेश करेंगी. इस बार देश में लोकसभा चुनाव होने हैं इसलिए बड़े ऐलान होने की संभावना थोड़ी कम है. इस बीच मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोग टैक्स राहत की उम्मीद कर रहे हैं. हमेशा की तरह इस बार भी सभी को टैक्स में छूट मिलने की उम्मीद है.
आइए आपको बताते हैं कि इस बार बजट से आम जनता की टैक्स संबंधी क्या उम्मीदें हैं-
80C कटौती सीमा
जानकारों के मुताबिक इस बार बजट में सरकार 80C की सीमा बढ़ा सकती है. धारा 80सी के तहत कवर की जाने वाली बीमा प्रीमियम की राशि बढ़ाई जा सकती है। सरकार इसकी सीमा 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर सकती है. वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये से बढ़कर 75,000 रुपये हो सकती है.
इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना है कि नई कर व्यवस्था की धारा 80डी का लाभ बढ़ाकर सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की पहुंच को काफी बढ़ावा देगी।
10 साल पहले बढ़ाई गई थी 80सी की सीमा
आपको बता दें कि सरकार ने आखिरी बार सेक्शन 80सी की सीमा साल 2014 में बढ़ाई थी. वित्त वर्ष 2013-14 तक इस सेक्शन के तहत सीमा सिर्फ 1 लाख रुपये थी. हालांकि, 2014 के बजट में इसे बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया गया. इस सेक्शन की सीमा आखिरी बार 10 साल पहले बढ़ाई गई थी. वहीं, करदाताओं और कर्मचारियों को उम्मीद है कि सरकार हर साल इस सीमा को बढ़ाएगी।
टीडीएस प्रोसेसिंग को आसान बनाया जाना चाहिए
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल 50 लाख रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीदने पर 1 फीसदी टीडीएस काटा जाता है। जबकि निवासी विक्रेताओं के लिए यह प्रक्रिया काफी सीधी है। वहीं, अनिवासी भारतीय (एनआरआई) विक्रेताओं के लिए यह बहुत मुश्किल है।
पूंजीगत लाभ कर को आसान बनाया जाना चाहिए
इसके अलावा इस समय निवेशकों को कैपिटल गेन टैक्स को लेकर भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसमें टैक्स रेट से लेकर रेजिडेंसी स्टेटस और होल्डिंग पीरियड तक कई दिक्कतें हैं.
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