Share Market Crash Reason: Why did the Indian stock market fall so much? Know 5 big reasons
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Share Market Crash Reason: पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। यह सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। अमेरिकी अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव जैसी वजहों से सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट आई। निवेशकों ने ज्यादातर सेक्टर में बिकवाली की। बड़ी कंपनियों के शेयर ताश के पत्तों की तरह गिरे और निवेशकों के लाखों करोड़ रुपए डूब गए।
Share Market Crash Reason: सोमवार को दुनियाभर के शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. जापान के निक्केई 225 में 1987 के बाद सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. निक्केई 12.40 फीसदी यानी 2227.15 अंकों की गिरावट के साथ 31,458.42 पर बंद हुआ. वहीं, 1987 में निक्केई एक ही दिन में 4451.28 अंक गिरा था. शेयर बाजार के लिहाज से इसे काला दिन कहा जाता है. अगर भारत की बात करें तो आज सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में एक समय 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. हालांकि, बाद में इनमें कुछ रिकवरी भी देखने को मिली.
आइए जानते हैं कि भारतीय शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आई और निवेशकों को कितना नुकसान हुआ।
अमेरिका में मंदी का खतरा
अमेरिका में बेरोजगारी के आंकड़े उम्मीद से कमजोर आने के बाद कई विशेषज्ञ मंदी की आशंका जता रहे हैं। वॉरेन बफेट जैसे बड़े अमेरिकी निवेशकों ने जुलाई में भारी बिकवाली करके अपने नकदी भंडार को बढ़ाया है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव ने भी राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ा दी है। इन सभी कारकों के चलते गुरुवार और शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई, जिसका असर आज दुनियाभर के बाजारों पर देखने को मिला।
ईरान-इज़राइल तनाव
ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ईरान अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इजरायल पर हमले की योजना बना रहा है। इस संकट का सबसे ज्यादा असर कच्चे तेल पर पड़ सकता है। साथ ही व्यापार अनिश्चितता बढ़ने का भी खतरा है। इससे भारतीय निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ है।
जापान का येन संकट
जापान में ब्याज दरें कम होने के कारण कई व्यापारियों ने जापानी येन उधार लिया और उसे येन में बदल दिया और उससे अमेरिकी शेयर खरीदे। लेकिन अब बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। इससे डॉलर के मुकाबले येन मजबूत हुआ है। इसका मतलब है कि व्यापारियों को उधार लिए गए येन पर ज़्यादा ब्याज देना होगा और उन्हें विदेशी मुद्रा का भारी नुकसान भी हो रहा है। इससे वे अपनी मुद्रा बेच रहे हैं, जिसका असर दुनिया भर के बाज़ारों पर पड़ रहा है।
बाजार का उच्च मूल्यांकन
पिछले हफ़्ते भारतीय शेयर बाज़ार का मूल्यांकन जीडीपी अनुपात के 150 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय शेयर बाज़ार में लगातार लिक्विडिटी आ रही है। इसका मतलब है कि निवेशक, ख़ासकर खुदरा निवेशक लगातार पैसे लगा रहे हैं। इस वजह से कई मिड और स्मॉल कैप स्टॉक ओवरवैल्यूड हो गए हैं। शेयर बाज़ार में गिरावट की एक बड़ी वजह यह भी है, जिसे करेक्शन भी कहते हैं।
कंपनी के कमज़ोर नतीजे
देश की अधिकांश कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से कमज़ोर रहे, जबकि उनके शेयरों का मूल्यांकन ज़्यादा था। मूल्यांकन को वाजिब साबित करने के लिए कंपनियों को मज़बूत नतीजे देने की ज़रूरत थी। जब ऐसा नहीं हुआ तो निवेशकों का उत्साह ठंडा पड़ने लगा। अब निवेशकों के पास कोई नया ट्रिगर पॉइंट नहीं है जिसकी वजह से वे शेयर बाज़ार में निवेश करें।
10.24 लाख करोड़ रुपए का नुकसान
सोमवार को शेयर बाजार की सुनामी में बीएसई में लिस्टेड सभी कंपनियों के मार्केट कैप में भारी गिरावट आई है। निवेशकों को 10.24 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। शुक्रवार को भी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई थी। उस दिन निवेशकों को 4.56 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। सबसे बड़ा झटका टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति सुजुकी और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी कंपनियों को लगा है। इनमें 6 फीसदी तक की गिरावट आई है।