SIP Cancellation Rule Changed: SEBI has changed the time limit for cancelling SIP, know details
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सेबी ने एसआईपी रद्द करने की समय सीमा 10 दिन से घटाकर सिर्फ दो दिन कर दी है। अब निवेशक केवल दो दिन पहले ही एसआईपी बंद करने का अनुरोध कर सकते हैं। पहले यह प्रक्रिया 10 दिन पहले शुरू करनी पड़ती थी, जिसके कारण कई निवेशकों को समय पर अपना एसआईपी बंद करने का मौका नहीं मिलता था।
सेबी ने सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए राहत भरा फैसला लिया है। अब आपको SIP बंद करने के लिए 10 कामकाजी दिनों का इंतजार नहीं करना होगा. नए नियम के तहत अब आपके अनुरोध पर सिर्फ दो दिन में SIP बंद कर दी जाएगी. सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए नया नियम अनिवार्य कर दिया है और इसे 1 दिसंबर 2024 से लागू कर दिया गया है.
क्या है नया नियम?
सेबी ने एसआईपी रद्द करने की समय सीमा 10 दिन से घटाकर सिर्फ दो दिन कर दी है। अब निवेशक केवल दो दिन पहले ही एसआईपी बंद करने का अनुरोध कर सकते हैं। पहले यह प्रक्रिया 10 दिन पहले शुरू करनी पड़ती थी, जिसके कारण कई निवेशकों को समय पर अपना एसआईपी बंद करने का मौका नहीं मिलता था।
उदाहरण के लिए, यदि आपकी एसआईपी मासिक किस्त कटने की तारीख 15 तारीख है और 12 तारीख तक आपके खाते में पर्याप्त पैसा नहीं है, तो अब आप 12 तारीख को एसआईपी बंद करने का अनुरोध कर सकते हैं। फंड मैनेजर को 15 तारीख से पहले इसे रद्द करना होगा और इस बीच कोई जुर्माना नहीं लगेगा.
नया नियम 1 दिसंबर 2024 से लागू हो गया है
सेबी का यह नया नियम 1 दिसंबर 2024 से लागू हो गया है। इसके तहत सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों और फंड मैनेजरों को दो दिनों के भीतर एसआईपी बंद करने के अनुरोध को पूरा करने का निर्देश दिया गया है। यह नियम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के निवेश पर लागू होगा।
कैसे मिलेगा फायदा?
पहले निवेशकों को एसआईपी बंद करने के लिए 10 दिन पहले अनुरोध करना पड़ता था। लेकिन इतने दिन पहले बैंक खाते की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल था. ऐसे में अगर खाते में पैसे नहीं होंगे तो मासिक किस्त बाउंस हो जाएगी और जुर्माना देना होगा। अब दो दिन की समय सीमा होने से निवेशकों को यह परेशानी नहीं होगी.
निवेशकों के लिए बड़ी राहत
इस नए नियम से SIP निवेशकों को बड़ा फायदा होगा. अब उन्हें जुर्माने का डर नहीं रहेगा और वे अपने निवेश पर बेहतर नियंत्रण रख सकेंगे. इस कदम से न सिर्फ निवेशकों की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि उन्हें वित्तीय योजना बनाने में भी मदद मिलेगी. सेबी के इस फैसले को म्यूचुअल फंड उद्योग में पारदर्शिता और निवेशकों के अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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