Swami Chinmayanand: Former Union Minister Swami Chinmayanand acquitted in sexual exploitation case, 13 years ago student had accused him of rape
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स्वामी चिन्मयानंद: मुमुक्षु आश्रम के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या ने साल 2011 में यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था, जिसे वापस लेने के लिए साल 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारी के माध्यम से कोर्ट को पत्र भेजा था. . यौन शोषण का ये मामला. लेकिन पीड़िता ने इस पर आपत्ति जताई थी और कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह केस वापस नहीं लेना चाहती.
2011 शाहजहाँपुर रेप केस: उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले की एक अदालत ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद (स्वामी चिन्मयानंद केस) को छात्रा के यौन शोषण के मामले में सबूतों के अभाव में दोषी करार देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया। . . स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के वकील फिरोज हसन खान ने पीटीआई-भाषा को बताया कि स्थानीय एमपी-एमएलए अदालत के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एहसान हुसैन ने गुरुवार (1 फरवरी) को मामले की सुनवाई करते हुए सबूतों के अभाव में स्वामी चिन्मयानंद को बरी कर दिया.
शाहजहाँपुर शहर स्थित मुमुक्षु शिक्षण संस्थान के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पर उनके कॉलेज में पढ़ाने वाली एक छात्रा ने यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया था। पीड़िता ने अपनी शिकायत में स्वामी चिन्मयानंद पर दुराचार का आरोप लगाया था, जिसका मामला शहर कोतवाली पुलिस ने 30 नवंबर 2011 को दर्ज किया था. पुलिस ने मामले की जांच पूरी करने के बाद अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. सुनवाई चल रही थी.
सम्मानपूर्वक बरी कर दिया गया
वकील ने बताया कि इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 6 गवाह पेश किये गये और शासकीय अधिवक्ता नीलिमा सक्सेना ने भी बहस की. उन्होंने बताया कि चिकित्सा अधिकारी और पीड़िता के अलावा रिपोर्ट दर्ज कराने वाले लेखक खुर्शीद और रेडियोलॉजिस्ट एमपी गंगवार और बीपी गौतम ने अभियोजन पक्ष की ओर से गवाही दी है. खान ने कहा कि कोर्ट ने इस मामले में स्वामी चिन्मयानंद को दोषी न पाते हुए बाइज्जत बरी कर दिया है.
क्या है पूरा मामला?
मुमुक्षु आश्रम के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था. साल 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मामले को वापस लेने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से अदालत को पत्र भेजा था. . . लेकिन पीड़िता ने इस पर आपत्ति जताई थी और कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह केस वापस नहीं लेना चाहती. इसलिए मुकदमा वापस लेने की अर्जी खारिज कर दी गई. साथ ही स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया था.
इसके बाद चिन्मयानंद ने केस वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर की. जब हाई कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी उनकी अपील खारिज कर दी. यौन शोषण मामले में स्वामी चिन्मयानंद को 19 दिसंबर 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई थी. तभी से यह मामला कोर्ट में लंबित था.
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