UPI payment fees: Will fees have to be paid on UPI payment also? CEO of NPCI told what planning is going on
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नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के प्रमुख दिलीप अस्बे ने कहा कि बड़े व्यापारियों को अगले तीन वर्षों में यूपीआई-आधारित भुगतान के लिए उचित शुल्क देना पड़ सकता है।
देश में जल्द ही यूपीआई पेमेंट पर शुल्क लगाया जा सकता है, हालांकि यह शुल्क हर किसी को नहीं देना होगा। यूपीआई का संचालन और नियमन देखने वाली संस्था एनपीसीआई इसे लेकर योजना बना रही है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के प्रमुख दिलीप अस्बे ने गुरुवार को कहा कि बड़े व्यापारियों को अगले तीन वर्षों में यूपीआई-आधारित भुगतान के लिए उचित शुल्क देना पड़ सकता है।
पेमेंट करने पर क्यों देनी पड़ सकती है फीस?
एनपीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक ने एक कार्यक्रम में कहा कि फिलहाल हमारा पूरा ध्यान नकदी का व्यावहारिक भुगतान विकल्प उपलब्ध कराने और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की स्वीकार्यता बढ़ाने पर है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि भविष्य में और अधिक नवप्रवर्तन, अधिक लोगों को पर्यावरण से जोड़ने और ‘कैशबैक’ जैसे प्रोत्साहनों के लिए बहुत सारे धन की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि अभी 50 करोड़ और लोगों को सिस्टम से जोड़ने की जरूरत है.
एनपीसीआई प्रमुख ने बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी कार्यक्रम में कहा, “दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, एक उचित शुल्क लगाया जाएगा।” यह शुल्क छोटे व्यापारियों से नहीं बल्कि बड़े व्यापारियों से लिया जाएगा. मुझे नहीं पता कि यह कब लागू होगा. ऐसा एक साल, दो साल या तीन साल बाद हो सकता है.
फीस लगाने की मांग की गई है
यूपीआई पर शुल्क एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। इंडस्ट्री की ओर से इस तरह के चार्ज लगाने की मांग की जा रही है. वर्तमान में सरकार ऐसे लेनदेन के लिए पर्यावरण में इकाइयों को मुआवजा देती है। इससे डिजिटलीकरण के लक्ष्य के अनुरूप आगे बढ़ने में मदद मिली है। इसके साथ ही अस्बे ने साइबर सुरक्षा और सूचना सुरक्षा पर खर्च को बैंक के आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) बजट के मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि जोखिम बरकरार है, सतर्क रहते हुए इस खर्च को बढ़ाने की जरूरत है.
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