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UPS vs NPS Pension Calculation: Rs 1 lakh pension on a salary of Rs 50,000… Know how UPS is better than NPS?

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केंद्र सरकार ने शनिवार को एकीकृत पेंशन योजना की घोषणा की और मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि यूपीएस पूरी तरह से अलग है, उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्यादातर राज्य इसे अपनाएंगे।

केंद्र सरकार ने पिछले शनिवार को बड़ा ऐलान करते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम शुरू करने का ऐलान किया। पहले इसे NPS और OPS के बीच का रास्ता माना जा रहा था, लेकिन मंगलवार को वित्त मंत्री ने साफ किया कि यह NPS से अलग और बेहतर है। अब लोगों के मन में सवाल है कि ऐसा कैसे? आइए कैलकुलेशन के जरिए समझते हैं कि अगर किसी की सैलरी 50,000 रुपये महीना है तो उसे UPS के जरिए NPS से ज्यादा पेंशन कैसे मिल सकती है।

यूपीएस में क्या है खास?

पूरी कैलकुलेशन को समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि सरकार द्वारा शुरू की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम में ऐसा क्या खास है, जो इसे एनपीएस से अलग बनाता है। तो आपको बता दें कि पूरी पेंशन तभी मिलेगी, जब कोई कर्मचारी 25 साल की सर्विस पूरी कर लेगा। पेंशन की रकम पिछले 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी का 50 फीसदी होगी। इसके अलावा यूपीएस में मिनिमम एश्योर्ड पेंशन का भी प्रावधान है, जिसके तहत 10 साल नौकरी करने पर कम से कम 10,000 रुपये महीने की पेंशन पक्की होगी। यूपीएस में फैमिली पेंशन कैटेगरी में कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का 60 फीसदी हिस्सा परिवार को दिया जाएगा। इन सभी पेंशन के साथ महंगाई राहत यानी डीआर का लाभ भी मिलता है।

एनपीएस-यूपीएस में ये है बड़ा अंतर

नेशनल पेंशन स्कीम और यूनिफाइड पेंशन स्कीम में बड़े अंतर की बात करें तो एनपीएस में जहां कर्मचारी अपने वेतन का 10 फीसदी योगदान देता है और सरकार की ओर से दिया जाने वाला योगदान 14 फीसदी होता है, वहीं एनपीएस खाते में जमा होने वाली कुल राशि कर्मचारी के वेतन का 24 फीसदी होती है। वहीं यूपीएस में कर्मचारी तो 10 फीसदी ही योगदान देता है, लेकिन सरकार की ओर से योगदान 14 फीसदी नहीं, बल्कि 18.5 फीसदी होता है। कुल मिलाकर यूपीएस खाते में वेतन का 28.5 फीसदी जमा होगा।

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पेंशन गणना

अब बात करते हैं कि कैसे कोई कर्मचारी UPS के ज़रिए NPS से ज़्यादा पेंशन पा सकता है। तो चलिए इसे एक कैलकुलेशन के आधार पर समझते हैं।

एनपीएस में 50,000 रुपये वेतन के आधार पर कर्मचारी का मासिक अंशदान 10 फीसदी के हिसाब से 5,000 रुपये होगा और इसका 14 फीसदी सरकार को 7,000 रुपये मिलेगा। इससे एनपीएस खाते में जमा राशि 12,000 रुपये हो जाएगी। नेशनल पेंशन स्कीम शेयर बाजार से जुड़ी योजना है, जिसमें अंशदान करने पर रिटायरमेंट के समय 60 फीसदी तक रकम एकमुश्त मिल जाती है और बाकी 40 फीसदी रकम एन्युटी के रूप में मिलती है। मान लें कि इसमें 8 फीसदी रिटर्न मिलता है और जमा राशि सालाना 3 फीसदी बढ़ती है और एन्युटी 6 फीसदी रिटर्न देती है, तो 35 साल में एनपीएस में कुल फंड 3,59,01,414 रुपये होगा। इसमें से करीब 1.43 करोड़ रुपये की एन्युटी खरीदनी होगी। इस हिसाब से आपको हर महीने 77,000 रुपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे। आपको बता दें कि मार्केट लिंक्ड होने के कारण रिटर्न बढ़ या घट सकता है।

यूपीएस में इस तरह बनेगी पेंशन

वहीं यूपीएस में खाते का पूरा फंड सरकार के पास ही रहेगा। इसके बदले में कर्मचारी को हर 6 महीने की सर्विस पूरी होने पर सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा एकमुश्त दिया जाएगा। 35 साल की नौकरी में 70 छमाही होंगी। अगर औसत सैलरी 50,000 रुपये मानें तो हर छमाही के लिए 30,000 रुपये मिलेंगे। इस तरह 60 साल पूरे होने पर कुल 21 लाख रुपये एकमुश्त मिलेंगे। हालांकि सैलरी बढ़ने के साथ यह रकम भी बढ़ती जाएगी। इसके अलावा पेंशन पिछले 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी का 50 फीसदी होगी।

अगर हम 35 साल की सर्विस का हिसाब लगाएं तो शुरुआती सैलरी 50,000 रुपये है और मान लीजिए सर्विस के आखिरी 12 महीने तक आपकी बेसिक सैलरी 1,00,000 रुपये हो जाती है तो आपकी पेंशन की रकम 50,000 रुपये महीने होगी और अगर इसमें मौजूदा दर के हिसाब से 50 फीसदी महंगाई राहत (DR) जोड़ दिया जाए तो कुल पेंशन करीब 100000 रुपये हो जाती है। ऐसे में यूपीएस एनपीएस से ज्यादा पेंशन देगा। यह उन लोगों के लिए बेहतर है जो जल्दी रिटायर होते हैं, लेकिन उन्हें एनपीएस की तरह निवेश के जरिए रिटर्न नहीं मिलेगा।

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