Tax clearance certificate will have to be taken only in cases of tax arrears and major defaults
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टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि अगर कोई विदेश जा रहा है तो उसे टैक्स बकाया और बड़े डिफॉल्ट के मामलों में टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना होगा। इसे सिर्फ प्रिंसिपल चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर के जरिए ही पास किया जा सकता है। आइए जानते हैं सरकार की ओर से और क्या कहा गया है।
विदेश जाने के लिए टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट अनिवार्य करने के बजट प्रस्ताव पर सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन सभी के लिए नहीं है और केवल उन्हीं लोगों को क्लीयरेंस लेना होगा जिन पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है या जिन पर अधिक टैक्स बकाया है। मंत्रालय ने वित्त विधेयक, 2024 में ब्लैक मनी एक्ट, 2015 का संदर्भ उन अधिनियमों की सूची में जोड़ने का प्रस्ताव दिया है जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए अपनी देनदारियों का भुगतान करना होता है।
इसलिए लेना होगा टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट
इसको लेकर मंत्रालय ने कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 230 के अनुसार, हर व्यक्ति को टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना जरूरी नहीं है। इसके साथ ही मंत्रालय ने आगे कहा कि आयकर विभाग ने 2004 की अधिसूचना के आधार पर स्पष्ट किया है कि भारत में रहने वाले व्यक्तियों को केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। ऐसा व्यक्ति जो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त है और आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम के तहत मामलों की जांच में उसकी मौजूदगी जरूरी है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति को भी टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना होगा। इनके जरिए टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट दिया जाएगा
जिनके खिलाफ 10 लाख रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष कर बकाया है और किसी भी प्राधिकरण द्वारा इस पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। आयकर विभाग ने कहा कि प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त या मुख्य आयकर आयुक्त से मंजूरी लेने के बाद ही कर निकासी प्रमाण पत्र दिया जा सकता है। ऐसा प्रमाण पत्र केवल आयकर प्राधिकरण द्वारा जारी किया जा सकता है। जिसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा हो कि अमुक व्यक्ति पर आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम, या उपहार कर अधिनियम, 1958, या व्यय कर अधिनियम, 1987 के तहत किसी भी प्रकार का कर देय नहीं है।