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What is the Income Tax e-Dispute Resolution Scheme, what is the process to avail its benefits?

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आयकर: आयकर रिटर्न (आईटीआर) के अनुसार जिन करदाताओं की आय 50 लाख रुपये तक है और भिन्नता की कुल राशि 10 लाख रुपये से कम है, वे इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आयकर विभाग ने 2022 में ही इस योजना को अधिसूचित कर दिया था। अब इसने इसे सक्षम कर दिया है

आयकर: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 अगस्त को ई-विवाद समाधान योजना शुरू की। इससे पहले आयकर विभाग ने इस योजना को 2022 में अधिसूचित किया था। इसका उद्देश्य कर से जुड़े विवाद के मुद्दों को जल्दी सुलझाना है। टैक्सआराम डॉट कॉम के संस्थापक मयंक मोहनका ने कहा कि ई-विवाद समाधान योजना को 2022 में अधिसूचित किया गया था। अब सीबीडीटी ने ऑनलाइन आवेदनों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग की सुविधा शुरू की है। अब आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिए निर्धारित फॉर्म 34बीसी के जरिए आवेदन दाखिल किया जा सकता है।

आवेदन कौन दायर कर सकता है?

आयकर रिटर्न (आईटीआर) के अनुसार जिन करदाताओं की आय 50 लाख रुपये तक है और भिन्नता की कुल राशि 10 लाख रुपये से कम है, वे इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। मोहनका ने कहा, “वेतनभोगी करदाताओं सहित कोई भी व्यक्ति, जो निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, योजना के तहत आवेदन कर सकता है। उदाहरण के लिए, वेतनभोगी करदाता जिनकी आय (आईटीआर के अनुसार) 50 लाख रुपये तक है और जिन्हें एचआरए दावे या धारा 80 सी दावे के संबंध में 10 लाख रुपये तक की अस्वीकृति के साथ मूल्यांकन आदेश प्राप्त हुआ है, वे योजना के तहत अपने कर मामले का निपटारा कर सकते हैं और आय की कम रिपोर्टिंग या गलत रिपोर्टिंग के मामले में धारा 270 ए के तहत जुर्माने से बच सकते हैं।”

इस योजना का लाभ उठाने के लिए क्या शर्तें हैं?

इसके अलावा कुछ अन्य शर्तें भी हैं। उदाहरण के लिए, करदाता को विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 के तहत किसी भी हिरासत का सामना नहीं करना चाहिए। हालांकि, अगर न्यायालय द्वारा ऐसे आदेश को रद्द कर दिया गया है तो यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इसके अलावा, अगर करदाता को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967, नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985, बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (1988 का 49) और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत दोषी ठहराया गया है, तो वह इस योजना के तहत आवेदन नहीं कर सकता है।

इस योजना से करदाताओं को क्या लाभ होगा?

मोहनका ने कहा कि इस योजना के तहत आयकर का मूलधन और उसका ब्याज चुकाना होता है। लेकिन, करदाताओं पर लगाया गया जुर्माना कम किया जा सकता है या माफ किया जा सकता है। इस बारे में विवाद समाधान समिति फैसला लेगी। एक तरह से यह ‘विवाद से विश्वास’ की तर्ज पर एक तरह की माफी योजना है। लेकिन, इसमें आवेदन दाखिल करने की कोई समयसीमा नहीं है। यह योजना इस मायने में अलग है कि जुर्माना कम किया जा सकता है या माफ किया जा सकता है, लेकिन करदाताओं को भेजी गई ब्याज मांग को माफ नहीं किया जा सकता।

आवेदन दाखिल करने की प्रक्रिया क्या है?

आयकर विभाग ने इस संबंध में FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) जारी किए हैं। इसके अनुसार करदाताओं को ई-डीआरसी (विवाद समाधान समिति) के पास जाना होगा। इस समिति के पास कर भुगतान के बाद जुर्माना कम करने या जुर्माना माफ करने का अधिकार है। इसका उद्देश्य विवादित मुद्दों को जल्दी सुलझाना है। करदाता आयकर विभाग के टैक्स पोर्टल पर लॉग इन करके ई-डीआरएस मॉड्यूल का उपयोग कर सकता है। लॉग इन करने के बाद उसे डैशबोर्ड पर ई-फाइल का चयन करना होगा। इसके बाद उसे आयकर फॉर्म पर जाना होगा। फिर फाइल इनकम टैक्स फॉर्म का चयन करना होगा।

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