RBI Action: RBI imposes fine of Rs 1.27 crore on this Bank, know the reason
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आरबीआई ने निर्देशों के उल्लंघन के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) पर 1.27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा हिंदुजा लीलैंड फाइनेंस लिमिटेड पर नो योर कस्टमर (केवाईसी) निर्देश 2016 के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए 4.90 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया गया है। पूनावाला फिनकॉर्प लिमिटेड पर भी 10 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया गया है।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि उसने केवाईसी समेत अपने निर्देशों का उल्लंघन करने पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) पर 1.27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आठ अगस्त, 2024 के आदेश के जरिए ‘बैंक ऋण वितरण के लिए ऋण प्रणाली’, ‘बैंकों में साइबर सुरक्षा ढांचे’ और ‘अपने ग्राहक को जानो’ पर आरबीआई द्वारा जारी कुछ निर्देशों का पालन न करने पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर 1.27 करोड़ रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है।
नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दिए गए मौखिक प्रस्तुतिकरण तथा उसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतिकरणों की जांच पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने पाया कि बैंक के खिलाफ लगाए गए आरोप सही थे, जिसके आधार पर मौद्रिक जुर्माना लगाना उचित था।
इन पर भी लगाया गया जुर्माना
इसके अलावा, आरबीआई ने अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) निर्देश, 2016 के कुछ प्रावधानों का अनुपालन न करने पर हिंदुजा लीलैंड फाइनेंस लिमिटेड पर 4.90 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
आरबीआई ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमी पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल उठाना नहीं है।
केंद्रीय बैंक ने ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा स्वीकार करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2016’ के कुछ प्रावधानों का पालन न करने पर पूनावाला फिनकॉर्प लिमिटेड पर 10 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना भी लगाया है।
सभी आरोप सही हैं
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि नोटिस पर कंपनी के जवाब, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दिए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और उसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण की जांच के बाद, आरबीआई ने पाया कि कंपनी के खिलाफ निम्नलिखित आरोप सही साबित हुए, जिसके कारण मौद्रिक जुर्माना लगाना उचित है।
कंपनी ने इन ऋणों के वितरण से पहले की तारीखों से ऋणों पर ब्याज लगाया, जो ग्राहकों को बताई गई ऋण शर्तों के विपरीत था।
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