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Nawazuddin siddiqui Actor kaise bane

Nawazuddin siddiqui Actor kaise bane- दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको बॉलीवुड स्टार नवाजुद्दीन सिद्दीकी की सकेसज स्टोरी (nawazuddin siddiqui success story in hindi) के बारे में बताएंगे, कि कैसे एक छोटे से गांव का लड़का बॉलीवुड स्टार बन गया। जब वह एक्टर के तौर पर काम मांगने के लिए जाते थे, तो उनका मजाक फ़िल्म इंडस्ट्री के लोग उड़ाते थे। लेकिन उनको अपने ऊपर भरोसा था कि वह एक दिन एक्टर जरूर बनेंगे।

अगर आपको भी एक्टर या एक्ट्रेस बनना है या किसी अन्य फील्ड में सफलता हासिल करनी है तो आपको नवाजुद्दीन से सीख लेनी चाहिए। एक समय था जब फ़िल्म प्रोडक्शन के लोग उनके अंदर एक्टिंग स्किल होने के बाबजूद टैलेंट दिखाने तक का मौका नही देते थे। क्योंकि वे खूबसूरत नही थे। हीरो जैसी उनकी शक्ल नही थी और न ही शक्ल से एक्टर लगते थे।

इस वजह से फ़िल्म इंडस्ट्री में नवाजुद्दीन को इग्नोर किया जाता था। कभी- कभी उनको खाना तक भी नही नसीब होता था। लगभग 12 से 15 साल तक वे यों ही फ़िल्म इंडस्ट्री में स्ट्रगल करते रहे। अंत मे एक ऐसी भी सुबह आयी। जिसने नवाजुद्दीन को बॉलीवुड का स्टार बना दिया। अगर आप भी नवाजुद्दीन के फिल्मी कैरियर (Actor Nawazuddin siddiqui success story in hindi)
के बारे में डिटेल में जानना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़े।

Nawazuddin siddiqui Actor kaise bane

नवाजुद्दीन सिद्दीकी के एक्टर बनने का सफर बहुत ही मुश्किल भरा था। बस उनका एक सपना था कि उनको एक्टर ही बनना है। उन्होंने ये जिद कर ली थी कि अगर उनको अगर कुछ बनना है तो एक्टर ही। नवाजुद्दीन कहते हैं कि ये दुनिया झुकती है। बस झुकाने वाला चाहिए। दुनिया का कोई ऐसा काम नही जो इंसान कर न सके। बस उसके लायक मेहनत होनी चाहिए।

बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन मुजफ्फरनगर जिले के बुधाना गांव के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। वह गरीब फैमिली से हैं। उनके पिता किसान हैं और खेती का काम करते हैं। इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई Nawazuddin siddiqui ने गांव से ही की। वे बताते हैं कि उनके यंहा लोग सिर्फ तीन ही चीजें जानते हैं। गेंहू, गन्ना और गन। इसलिए उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाने की सोची।

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गुरुकुल कांगिणी विश्वविद्यालय हरिद्वार से उन्होंने केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद में गुजरात की एक पेट्रोकेमिकल कंपनी में केमिस्ट की नौकरी करने लगे। कुछ दिन तक तो वे ठीक- ठाक नौकरी करते रहे। फिर एक दिन उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में जाने का फैसला कर लिया। फिर क्या था। नवाजुद्दीन को इसके लिए एक्टिंग आनी चाहिए थी, लेकिन उनको नही आती थी। एक्टिंग सीखने के लिए वे दिल्ली आ गए। उनको किसी ने बताया था कि Acting Course के लिए NSD यानी कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा अच्छा संस्थान है।

इसलिए उन्होंने एनएसडी में ये ही एडमिशन लेना चाहा। लेकिन बाद में पता चला कि एनएसडी में एडमिशन के लिए ड्रामा और प्ले किये होने का एक्सपीरिएंस चाहिए। जोकीं उनके पास नही था। इसके बाद फिर उन्होंने दिल्ली में थिएटर ग्रुप जॉइन किया और एक्सपीरिएंस हैसिल किया। इस दौरान उनके पास पैसों की काफी दिक्कत होने लगी। इसके लिए वे रात में प्ले किया करते थे। जिससे भी उनको थोड़ी बहुत कमाई हो जाया करती थी।

लेकिन इससे उनका खर्चा पूरा नही हो पाता था। इसलिए उन्होंने एक ऑफिस में वॉचमैन की नौकरी कर ली। रात में प्ले किया करते थे और दिन में वॉचमैन की नौकरी। इस दौरान काफी दिक्कत झेलनी पड़ी। इसके बाद एनएसडी में एडमिशन के लिए गए। किश्मत साथ दे गई और उनका एनएसडी में एडमिशन हो गया।

कोर्स पूरा होने के बाद वे मुम्बई में अपने एक्टर बनने के सपने को लेकर पहुंच गए। जोश और जुनून में मुंबई तो पहुंच गए, लेकिन वंहा पर उनके पास रहने के लिए छत नही थी। इतने पैसे भी नही थे, कि किराये पर रूम ले लेते। रहने के लिए फिर उन्होंने एनएसडी के ही एक उनके सीनियर थे। उनसे रहने के लिए छत मांगी। काफी मिन्नत करने के बाद उनका सिनियर तैयार हुआ, लेकिन एक शर्त पर। शर्त ये थी कि नवाजुद्दीन को उसके लिए खाना बनाने का काम करना पड़ेगा। इस बात पर भी वे तैयार हो गए और अपने सीनियर के साथ मे रहने लगे।

रहने के लिए जब बंदोबस्त हो गया तो वे काम मांगने के लिए फील्म प्रोडक्शन हाउस और डायरेक्टर के ऑफिस के चक्कर लगाने लगे। एक इंटरव्यू में नवाजुद्दीन ने बताया कि जब वे किसी भी डायरेक्टर के पास जाते थे और वंहा पर बताते थे, कि वे एक एक्टर हैं और उनको काम चाहिए। तो इस बात पर उनकी वे लोग काफी मजाक उड़ाते थे और बोलते थे कि तुम एक्टर जैसे नही लगते हो। तुम्हारी शक्ल तो एक्टरों जैसी है नही। इस तरह उनका लोग मजाक उड़ाते थे। इस तरह एक बार नही बहुत बार उनका मजाक बनाया गया।

नवाजुद्दीन का मजाक इसलिए लोग उड़ाते थे, क्योंकि वे फिल्मी हीरो जैसे खूबसूरत नही थे। न तो अच्छी बॉडी थी और न ही शक्ल अच्छी थी, हाइट भी कम ही थी। दिखने में बिल्कुल अच्छे लगते नही थे। एक हीरो की जो पर्सनालिटी होती है, उस तरह की उनमें कोई खूबी नही थी। बस एक्टिंग आती थी।

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एक बार जब नवाजुद्दीन किसी फिल्म का ऑडिशन देने गए थे तो वंहा भी उनकी शक्ल को देखकर वंहा से जाने के लिए बोला और कहा कि ये ऑडिशन तुम्हारे लिए नही है। नवाजुद्दीन बताते हैं कि जब वे फ़िल्म इंडस्ट्री में आये थे, तो उस समय बॉलीवुड में चलन था कि हीरो जो होता है, गोरा- चिट्ठा होता है, अच्छी हाइट होती है और बॉडी भी अच्छी होती है। जबकि उनमें ये चीजें नही थीं। इस वजह से उनको फ़िल्म इंडस्ट्री के लोग काम देना पसन्द नही करते थे।

कुछ सालों के बाद में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को छोटे- मोटे रोल मिलने लगे थे। जिसमें कि वे भीड़ का हिस्सा हुआ करते थे, एक तरह से क्राउड के रोल थे। जिनसे उनको कुछ कमाई हो जाती थी। एक बार जब छोटा- मोटा रोल मिलता था तो कई महीनों तक कोई काम नही हुआ करता था। इस वजह से बैठकर ही खाना पड़ता था। इसके चलते उनके पास पैसों की बहुत दिक्कत थी।

कई किलोमीटर की दूरी ऑटो की बजाय पैदल ही ऑडिशन देने के लिए जाते थे। पैसों की किल्लत के कारण उनको भूखे भी रहना पड़ा। नवाजुद्दीन बताते हैं कि 12 से 15 साल तक इंडस्ट्री में उनके पास कोई काम नही था।

इतनी मुश्किलें झेलने पर वे कभी- कभी निराश भी हो जाया करते थे, तो ख्याल आता कि घर वापस चले जाएं। लेकिन फिर सोंचते कि उनके एनएसडी के साथी कहेंगे कि आ गए वापस। उनके गांव के लोग, यार दोस्त, रिश्तेदार इन सभी के ताने सुनने पड़ेंगे। बस यही सोचकर फिर मुम्बई रुक जाते थे।

इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि बनना तो सिर्फ एक्टर ही है। जिएंगे तो मुम्बई में मरेंगे तो मुम्बई में। एक्टर बनने की जिद ठान ली। जुट गए अपने एक्टिंग के सपने को पूरा करने के लिए। इंडस्ट्री के लोगों ने नवाजुद्दीन को काफी निराश किया, मजाक उड़ाया, लेकिन इन सबके बाबजूद नवाजुद्दीन को अपने आप पर पूरा भरोसा था, कि वे एक दिन तो जरूर ही एक्टर बनेंगे। आज नही तो कल, कल नहीं तो परसों या 10 से 15 साल में कभी न कभी तो उनको फिल्मों में मौका मिलेगा ही। उनके इस पक्के विश्वास का कारण ये था कि उनको अपनी।एक्टिंग पर पूरा भरोसा था, जोकीं उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ली थी।

कुछ सालों तक मुम्बई में स्ट्रगल करने के बाद में 1999 में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को अमीर खान की फ़िल्म सरफरोश में एक छोटा सा रोल मिला। जिसमे वह एक चोर की भूमिका में नजर आए। इस तरह 4 साल तक छोटे मोटे रोल करने के बाद में उनको अनुराग कश्यप की फ़िल्म ब्लैक फ्राइडे में सेलेक्ट किया गया। यह उनके कैरियर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इसके बाद उनको काफी फिल्में मिलने लगी थीं। लेकिन इंडस्ट्री में कोई खास पहचान नही मिल पा रही थी।

फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से नवाजुद्दीन को फ़िल्म इंडस्ट्री में एक नही पहचान मिली। इस फ़िल्म में उनका किरदार भी दमदार था। जिसको उन्होंने बखूबी निभाया। उनकी एक्टिंग इसमे दर्शकों द्वारा खूब पसंद की गई। इस फ़िल्म से वे रातोंरात स्टार बन गए। अब उनजे पास बड़े- बड़े फ़िल्म मेकर फ़िल्म लेकर आने लगे। इस तरह से इस फ़िल्म के बाद में नवाजुद्दीन ने बहुत सारी फिल्मों में काम किया और कर भी रहे हैं।

नवाजुद्दीन का कहना है कि भरोसा खुद पर करो, किश्मत पर नही। अगर वे किश्मत के भरोसे बैठे रहते तो आज वे इस मुकाम पर नही होते। नवाजुद्दीन का कहना है कि उन्होंने ये टारगेट नही किया कि अगर 1 से 2 साल में अगर उनको काम नही मिला तो वे इस फील्ड को छोड़कर कोई और काम करने लगेंगे। ऐसा उन्होंने कभी नही सोंचा। आज के समय मे लोग क्या करते हैं कि एक से 2 साल तक किसी भी फील्ड में ट्राई करेंगे फिर वे उसको छोड़कर किसी दूसरी फील्ड में चले जाते हैं।

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इस तरह दोस्तों अगर आपको भी किसी भी फील्ड में सफलता हासिल करनी है, चाहें वो एक्टिंग हो या अन्य फील्ड तो आपको अपने लक्ष्य तक पहुचने के लिए मेहनत और लगन से जुट जाना चाहिए। तब तक न रुको, जब तक कि अपने लक्ष्य तक न पहुंच जाओ।

उम्मीद करते हैं कि Nawazuddin siddiqui Actor kaise bane या Nawazuddin siddiqui Success Story in hindi या Nawazuddin siddiqui Bayography ये पोस्ट आपको पसन्द आयी होगी। अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हैं तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं।

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A self-motivated and hard-working individual, I am currently engaged in the field of digital marketing to pursue my passion of writing and strategising. I have been awarded an MSc in Marketing and Strategy with Distinction by the University of Warwick with a special focus in Mobile Marketing. On the other hand, I have earned my undergraduate degrees in Liberal Education and Business Administration from FLAME University with a specialisation in Marketing and Psychology.

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